उल्लाला छंद
उल्लाला छंद
अमृत की वर्षा जहाँ,वहीं पर बरगद उगता।
शीतल छाया नित मिले, मनुज का चेतन जगता।।
अमृत अपनेआप में,है यह तत्व सदा अमर ।
तृप्त चराचर सकल जग,तृप्त होता मन सुखकर।।
अमृतमय ब्रह्माण्ड है, कण-कण में अमृत सहज।
जीवन में अमृत भरा, पहचानो यह दिव्य रज।।
अमृत यदि होता नहीं, समझ लो सृजन असंभव।
अमृत पावन गंग जल, जटा शंकर में उद्भव।।
सत्कर्मों में रस अमी,धर्म क्षेत्र में अमर यश।
पुण्य राज्य साम्राज्य में, पाया जाता मधुर रस।।
Abhilasha deshpande
12-Jan-2023 05:10 PM
बहुत खुब
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अदिति झा
12-Jan-2023 04:16 PM
Nice 👍🏼
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